जो निंदा करे सतिगुर पूरे की-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji
जो निंदा करे सतिगुर पूरे की सु अउखा जग महि होइआ ॥
नरक घोरु दुख खूहु है ओथै पकड़ि ओहु ढोइआ ॥
कूक पुकार को न सुणे ओहु अउखा होइ होइ रोइआ ॥
ओनि हलतु पलतु सभु गवाइआ लाहा मूलु सभु खोइआ ॥
ओहु तेली संदा बलदु करि नित भलके उठि प्रभि जोइआ ॥
हरि वेखै सुणै नित सभु किछु तिदू किछु गुझा न होइआ ॥
जैसा बीजे सो लुणै जेहा पुरबि किनै बोइआ ॥
जिसु क्रिपा करे प्रभु आपणी तिसु सतिगुर के चरण धोइआ ॥
गुर सतिगुर पिछै तरि गइआ जिउ लोहा काठ संगोइआ ॥
जन नानक नामु धिआइ तू जपि हरि हरि नामि सुखु होइआ ॥1॥309॥