जो जीइ होइ सु उगवै मुह का कहिआ वाउ-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji

जो जीइ होइ सु उगवै मुह का कहिआ वाउ-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji

जो जीइ होइ सु उगवै मुह का कहिआ वाउ ॥
बीजे बिखु मंगै अम्रितु वेखहु एहु निआउ ॥2॥474॥