जुल्फ – अंगडाई – तबस्सुम – चाँद – आईना -गुलाब- धरती की सतह पर -अदम गोंडवी- Adam Gondvi-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita,
जुल्फ – अंगडाई – तबस्सुम – चाँद – आईना -गुलाब
भुखमरी के मोर्चे पर ढल गया इनका शबाब
पेट के भूगोल में उलझा हुआ है आदमी
इस अहद में किसको फुर्सत है पढ़े दिल की किताब
इस सदी की तिश्नगी का ज़ख्म होंठों पर लिए
बेयक़ीनी के सफ़र में ज़िंदगी है इक अजाब
डाल पर मजहब की पैहम खिल रहे दंगों के फूल
सभ्यता रजनीश के हम्माम में है बेनक़ाब
चार दिन फुटपाथ के साये में रहकर देखिए
डूबना आसान है आंखों के सागर में जनाब
Comments are closed.