जिस दै अंदरि सचु है-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

जिस दै अंदरि सचु है-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

जिस दै अंदरि सचु है सो सचा नामु मुखि सचु अलाए ॥
ओहु हरि मारगि आपि चलदा होरना नो हरि मारगि पाए ॥
जे अगै तीरथु होइ ता मलु लहै छपड़ि नातै सगवी मलु लाए ॥
तीरथु पूरा सतिगुरू जो अनदिनु हरि हरि नामु धिआए ॥
ओहु आपि छुटा कुट्मब सिउ दे हरि हरि नामु सभ स्रिसटि छडाए ॥
जन नानक तिसु बलिहारणै जो आपि जपै अवरा नामु जपाए ॥2॥140॥

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