जिनके पास हथियार हैं-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill
जिनके पास हथियार हैं
वह जीना नहीं जानते
सिर्फ़ मरना और मारना जानते हैं।
खेलना नहीं जानते
खेल बिगाड़ना जानते हैं।
शिकार खेलते खेलते
खूँखार शिकारी
हर पल शिकार तलाशते।
जिनके पास हथियार हैं
उनके पास बहुत कुछ है
खुशियाँ प्रफुल्लता चावों के सिवा।
हथियार वालों के पास
गठरियों की गठरियों हैकड़ी है।
अहंकार है बेशुमार
जंगली व्यवहार है
प्राण हरना किरदार है
रहम के सिवा।
वह नहीं जानते
हथियारों का मुँह काला होता है
और मौत के सिवा
वह कुछ बाँटने के काबिल नहीं होता
बेरहम दरिंदे जैसे
हथियारों के बनजारे
अंतर्राष्ट्रीय हत्यारे
आदमख़ारे व्यवहार वाले
ज़िंदगी से कोसों दूर।
हथियार वालों के पास
शब्द नहीं होते
धमकियाँ होती हैं
मरने मारने की
हाँफती जीभें होती हैं
उनके पास झाँझरें नहीं होतीं
चावों के पैरों में डालकर नाचने को।
छनकार उनके शब्दकोश का
हिस्सा नहीं बनता कभी
धरती पर बिछी बिछाई रह जाती है
फूलों कढ़ी चादर।
कुछ और नहीं होता उनके पास
जिनके पास हथियार होता है।