चित्रपदा छंद “गुरु वंदना”-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep
हे गुरुदेव विधाता,
ज्ञान सुधा रस दाता।
मात,पिता तुम भ्राता,
जीवन ज्योत प्रदाता।
नित्य करे पर सेवा,
युग संचालक देवा।
सत्य सदा वरदाता,
हे गुरुदेव विधाता।
सार्थक पाठ पढ़ाते,
सत्पथ वो दिखलाते।
बुद्धि विवेक अगाथा,
हे गुरुदेव विधाता।
है भगवान पधारे,
रूप गुरु खुद धारे।
शीश झुका जग ध्याता,
हे गुरुदेव विधाता।
** ** **
चित्रपदा छंद विधान-
211 211 2 2 = भगण, भगण, गुरु, गुरु
कुल 8 वर्ण की वर्णिक छंद।
चार चरण, दो-दो समतुकांत या चारो समतुकांत।