चलो आमा,चलो बुबु-पहाड़ी भाषा काव्य-श्याम सिंह बिष्ट -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Singh Bisht 

चलो आमा,चलो बुबु-पहाड़ी भाषा काव्य-श्याम सिंह बिष्ट -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Singh Bisht

चलो आमा,चलो बुबु,
नानतिनागू लिभै हिटौ पहाड़
य गरमी मैं घुम आल
आपण गों, आपण पहाड़
दैख आला कुर, बाड़ आपण
हटे आला लागि ताव, व मकरूवक जाल
चलो दादी, चलौ बौजी
य बार हिटौ पहाड़ भेट आला
आपण औस, परोषग
धैय, दैवी थान लिप आला
य जीवन में कदू (कितना) कमाय, कदू खाय
फिर लै नि हय भरपाई
चलौ दिदी चलो भुला
य बार हिटौ आपण गौं, आपण पहाड़
ईज छू, बाजु क्षि, काक, काकि क्षि,
दिल बटि रिशत निभुणि वा बहार क्षू
चलो दगरियौ य बार हिटो पहाड़
घर अबै,जला ओर, पोर, और गवार
पि आला चहा, व नहक ठंड पाण
कहणि कौला पैला कहणि कोला जुजा
चलौ आमा, चलो बूब,
य बार हिटौ पहाड़ ।