गुनाह ओ सवाब-अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi,
मेहरबाँ रात ने
अपनी आग़ोश में
कितने तरसे हुए बे-गुनाहों को भींचा
दिलासा दिया
और उन्हें इस तरह के गुनाहों की तर्ग़ीब दी
जिस तरह के गुनाहों से मीलाद-ए-आदम हुआ था