ख़्वाब-दर्द आशोब -अहमद फ़राज़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmed Faraz,
वो चाँद जो मेरा हमसफ़र था
दूरी के उजाड़ जंगलों में
अब मेरी नज़र से छुप चुका है
इक उम्र से मैं मलूलो-तन्हा
ज़ुल्मात की रहगुज़ार में हूँ
मैं आगे बढ़ूँ कि लौट जाऊँ
क्या सोच के इन्तज़ार में हूँ
कोई भी नहीं जो यह बताए
मैं कौन हूँ किस दयार में हूँ