क्या भरोसा हो किसी हमदम का-ग़ज़लें -अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi,

क्या भरोसा हो किसी हमदम का-ग़ज़लें -अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi,

क्या भरोसा हो किसी हमदम का
चांद उभरा तो अंधेरा चमका

सुबह को राह दिखाने के लिए
दस्ते-गुल में है दीया शबनम का

मुझ को अबरू, तुझे मेहराब पसन्द
सारा झगड़ा इसी नाजुक ख़म का

हुस्न की जुस्तजू-ए-पैहम में
एक लम्हा भी नहीं मातम का

मुझ से मर कर भी न तोड़ा जाए
हाय ये नशा ज़मीं के नम का