किआ सवणा किआ जागणा-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

किआ सवणा किआ जागणा-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

किआ सवणा किआ जागणा गुरमुखि ते परवाणु ॥
जिना सासि गिरासि न विसरै से पूरे पुरख परधान ॥
करमी सतिगुरु पाईऐ अनदिनु लगै धिआनु ॥
तिन की संगति मिलि रहा दरगह पाई मानु ॥
सउदे वाहु वाहु उचरहि उठदे भी वाहु करेनि ॥
नानक ते मुख उजले जि नित उठि समालेनि ॥1॥313॥