ए स्रवणहु मेरिहो-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji

ए स्रवणहु मेरिहो-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji

ए स्रवणहु मेरिहो साचै सुनणै नो पठाए ॥
साचै सुनणै नो पठाए सरीरि लाए सुणहु सति बाणी ॥
जितु सुणी मनु तनु हरिआ होआ रसना रसि समाणी ॥
सचु अलख विडाणी ता की गति कही न जाए ॥
कहै नानकु अम्रित नामु सुणहु पवित्र होवहु साचै सुनणै नो पठाए ॥੩੭॥੯੨੨॥