ए मन पिआरिआ तू सदा सचु समाले-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji

ए मन पिआरिआ तू सदा सचु समाले-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji

ए मन पिआरिआ तू सदा सचु समाले ॥
एहु कुट्मबु तू जि देखदा चलै नाही तेरै नाले ॥
साथि तेरै चलै नाही तिसु नालि किउ चितु लाईऐ ॥
ऐसा कमु मूले न कीचै जितु अंति पछोताईऐ ॥
सतिगुरू का उपदेसु सुणि तू होवै तेरै नाले ॥
कहै नानकु मन पिआरे तू सदा सचु समाले ॥੧੧॥੯੧੮॥

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