उमड़ मेघ- ऐसा कोई घर आपने देखा है अज्ञेय- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन “अज्ञेय”-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sachchidananda Hirananda Vatsyayan Agyeya,
उमड़, फट पड़ मेघ
आशिष राशि राशि बरसे!
विरहिनी के, कृषक के,
मेरे नयन क्यों तरसें?
भिगो दे! मोर, पिक, कवि के
सभी के हिये हरसें
धूसर धरा सरसे!
उमड़, फट पड़ मेघ…