इहु जगु सचै की है कोठड़ी सचे का विचि वासु-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji
इहु जगु सचै की है कोठड़ी सचे का विचि वासु ॥
इकन्हा हुकमि समाइ लए इकन्हा हुकमे करे विणासु ॥
इकन्हा भाणै कढि लए इकन्हा माइआ विचि निवासु ॥
एव भि आखि न जापई जि किसै आणे रासि ॥
नानक गुरमुखि जाणीऐ जा कउ आपि करे परगासु ॥3॥463॥