“आपकी याद आती रही रात-भर”-शामे-श्हरे-यारां -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

“आपकी याद आती रही रात-भर”-शामे-श्हरे-यारां -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

मख़दूम की याद में-1

“आपकी याद आती रही रात-भर”
चाँदनी दिल दुखाती रही रात-भर

गाह जलती हुई, गाह बुझती हुई
शम-ए-ग़म झिलमिलाती रही रात-भर

कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन
कोई तस्वीर गाती रही रात-भर

फिर सबा सायः-ए-शाख़े-गुल के तले
कोई क़िस्सा सुनाती रही रात-भर

जो न आया उसे कोई ज़ंजीरे-दर
हर सदा पर बुलाती रही रात-भर

एक उमीद से दिल बहलता रहा
इक तमन्ना सताती रही रात-भर

मास्को, सितंबर, 1978

Comments are closed.