असीम-गुरसिमरन सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gursimran Singh
पर्वत से ऊंचा कद तेरा…..
सागर से गहरी जड़ तेरी..
लफ़्ज़ों में बयां कैसे करूँ??
ऐ खुदा!! है भी अगर फिर भी ओझल…
इस बेनज़र से सीमा तेरी।
असीम-गुरसिमरन सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gursimran Singh
पर्वत से ऊंचा कद तेरा…..
सागर से गहरी जड़ तेरी..
लफ़्ज़ों में बयां कैसे करूँ??
ऐ खुदा!! है भी अगर फिर भी ओझल…
इस बेनज़र से सीमा तेरी।