अब हम चली ठाकुर पहि हारि-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

अब हम चली ठाकुर पहि हारि-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

अब हम चली ठाकुर पहि हारि ॥
जब हम सरणि प्रभू की आई राखु प्रभू भावै मारि ॥१॥ रहाउ ॥
लोकन की चतुराई उपमा ते बैसंतरि जारि ॥
कोई भला कहउ भावै बुरा कहउ हम तनु दीओ है ढारि ॥१॥
जो आवत सरणि ठाकुर प्रभु तुमरी तिसु राखहु किरपा धारि ॥
जन नानक सरणि तुमारी हरि जीउ राखहु लाज मुरारि ॥੨॥੪॥੫੨੭॥