अतुलु किउ तोलिआ जाइ-शब्द-गुरू अमर दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Amar Das Ji
अतुलु किउ तोलिआ जाइ ॥
दूजा होइ त सोझी पाइ ॥
तिस ते दूजा नाही कोइ ॥
तिस दी कीमति किकू होइ ॥१॥
गुर परसादि वसै मनि आइ ॥
ता को जाणै दुबिधा जाइ ॥१॥ रहाउ ॥
आपि सराफु कसवटी लाए ॥
आपे परखे आपि चलाए ॥
आपे तोले पूरा होइ ॥
आपे जाणै एको सोइ ॥२॥
माइआ का रूपु सभु तिस ते होइ ॥
जिस नो मेले सु निरमलु होइ ॥
जिस नो लाए लगै तिसु आइ ॥
सभु सचु दिखाले ता सचि समाइ ॥३॥
आपे लिव धातु है आपे ॥
आपि बुझाए आपे जापे ॥
आपे सतिगुरु सबदु है आपे ॥
नानक आखि सुणाए आपे ॥੪॥੨॥੭੯੭॥