अडिग रहे हैं, अडिग रहेंगे-रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Roopchandra Shastri Mayank
अडिग रहे हैं, अडिग रहेंगे
सदा बढ़े हैं, सदा बढ़ेंगे!
हम तो दरिया का पानी है
रुककर हम तो नहीं सड़ेंगे!!
कितनों ने सन्देशे भेजे
कितनों से भिजवाए गए
कितनों ने आकर धमकाया
कितनों ने जमकर फुसलाया
हम भारत के हैं बाशिन्दे
पर्वत बन कर डटे रहेंगे!
हम तो दरिया का पानी है
रुककर हम तो नहीं सड़ेंगे!!
हममें गहराई सागर की
चाह नही हमको गागर की
काँटों पर हम चलने वाले
हम अपनी धुन के मतवाले
हम जमकर के लोहा लेंगे
दुश्मन से हम नही डरेंगे!
हम तो दरिया का पानी है
रुककर हम तो नहीं सड़ेंगे!!