अगै जलै तां पानी पाईऐ-पंजाबी काफ़ियाँ शाह शरफ़-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf

अगै जलै तां पानी पाईऐ-पंजाबी काफ़ियाँ शाह शरफ़-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf

अगै जलै तां पानी पाईऐ,
पानी जलै तां काय बुझाईऐ,
मैं तती नूं जतन बताईऐ ।१।

मति अण-मिल्यां मर जाईऐ,
इह अउसर बहुड़ न पाईऐ ।१।रहाउ।

घिन वखर लदि सिधाईऐ,
देखि लाहा ना लुभाईऐ,
सन वखर आपि विचाईऐ ।२।

सहु नूं मिल्या लोड़ीए,
मद माते बंधनि तोड़ीए,
शेख़ शरफ़ ना मोढा मोड़ीए ।३।
(राग धनासरी)