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शायरी होती ग़र ख़ून में,तो लिखते भी
सुखनवरों की भीड़ में,कहीं दिखते भी
लफ्ज़ जोड़ मिसरा बनाना,शायरी नहीं
न ज़ख़्म सिसके बात पे,बात क्या कही
सुख़नवर–शायर
~अशोक मसरूफ़
#WorldPoetryDay @Rekhta
@BazmEShoara
#मसरूफ़ #बज़्म
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Source by Ashok Mushroof