#विश्वपर्यावरणदिवस
है दरख़्तों की शायरी जंगल
धूप-छाया की डायरी जंगल।
बस्तियों से निकल के तो देखो
ज़िन्दगी की है ताज़गी जंगल।
गूंजती हैं ये वादियां जिससे
पर्वतों की है बांसुरी जंगल।
दिल से पूछो ज़रा परिंदों के
खुद फ़रिश्ता है,ख़ुद परी जंगल।
~डॉ वर्षा सिंह✍️
@drvarshasingh1 https://t.co/41gZCnNlxQ
#विश्वपर्यावरणदिवस
है दरख़्तों की शायरी जंगल
धूप-छाया की डायरी जंगल।
बस्तियों…
#विश्वपर्यावरणदिवस
है दरख़्तों की शायरी जंगल
धूप-छाया की डायरी जंगल।
बस्तियों से निकल के तो देखो
ज़िन्दगी की है ताज़गी जंगल।
गूंजती हैं ये वादियां जिससे
पर्वतों की है बांसुरी जंगल।
दिल से पूछो ज़रा परिंदों के
खुद फ़रिश्ता है,ख़ुद परी जंगल।
~डॉ वर्षा सिंह✍️
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#वशवपरयवरणदवसह #दरखत #क #शयर #जगलधपछय #क #डयर #जगलबसतय
Twitter shayarish by @काव्य_रस