मेरी आँखों में रोशनी न हुई
उस मिलकर कोइ खुशी न हुई
हम समन्दर के दो किनारे थे
उम्र भर हम में दोस्ती न हुइ
वो सुख़न उसकी ख़ामुशी ने किये
मुद्दतों हम से शायरी न हुइ
दोस्तों को संभाल कर रक्खा
दुश्मनों की कोइ कमी न हुइ
रात सबको जगा दिया मैंने
जब मेरे दर्द में कमी न हुई
मेरी आँखों में रोशनी न हुई
उस मिलकर कोइ खुशी न हुई
हम समन्दर के दो किनारे …
मेरी आँखों में रोशनी न हुई
उस मिलकर कोइ खुशी न हुई
हम समन्दर के दो किनारे थे
उम्र भर हम में दोस्ती न हुइ
वो सुख़न उसकी ख़ामुशी ने किये
मुद्दतों हम से शायरी न हुइ
दोस्तों को संभाल कर रक्खा
दुश्मनों की कोइ कमी न हुइ
रात सबको जगा दिया मैंने
जब मेरे दर्द में कमी न हुई
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