[ad_1]
मुद्दतों बाद आज मुस्कुराने को जी चाहता है
ना कोई ख़लिश हो,ना कोई गिला चाहता है
देखूँ न मुड़कर, जिस दर पे मुक़द्दर था रोया…
हो झूठा मगर संग तुम्हारे,रह-गुज़र चाहता है।
-कौशल 🌹
#सरस #बज़्म #शायरी #पहल #लेखनी https://t.co/g1HeHftmK4
[ad_2]
Source by Kaushal Kishor Jha (Adv.)