तुम कभी मेरी आँखें नहीं पढ़ पाई
चलो अनपढ़ कहीं की ।।
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#हिंदी
#शब्दनिधि
तुम कभी मेरी आँखें नहीं पढ़ पाई
चलो अनपढ़ कहीं की ।।
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तुम कभी मेरी आँखें नहीं पढ़ पाई
चलो अनपढ़ कहीं की ।।
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Twitter shayarish by Shukla ji ( self written poems nd 2 liners)