[ad_1]
जो रोटी में थूक के कांटे बो रहे हैं उनके लिए कोई शायरी न निकली।
काश बांध लेते जबानी सफर
न कांटे बिछते, न निकालने की सिफारिश करते
थूकलमान https://t.co/anLoKFnwy4
[ad_2]
Source by नरेंद्र
[ad_1]
जो रोटी में थूक के कांटे बो रहे हैं उनके लिए कोई शायरी न निकली।
काश बांध लेते जबानी सफर
न कांटे बिछते, न निकालने की सिफारिश करते
थूकलमान https://t.co/anLoKFnwy4
[ad_2]
Source by नरेंद्र