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जज़्बात जला कर सारे रूह की आग बुझती हैं
तब जाकर इक कलम से शायरी बनती है
राख हो जाती हैं उम्र मोहब्बत करने वालो की
मरते हैं वो रोज कुछ ऐसे जिंदगानी निकलती हैं
-knk
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Source by Kanak Lakhesar🇮🇳
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जज़्बात जला कर सारे रूह की आग बुझती हैं
तब जाकर इक कलम से शायरी बनती है
राख हो जाती हैं उम्र मोहब्बत करने वालो की
मरते हैं वो रोज कुछ ऐसे जिंदगानी निकलती हैं
-knk
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