खुशी कभी मिलती भी है तो ग़म की तरह
नसीब अपना है रूठे हुए सनम की तरह अगर खुशी…
अपने ही घर में रहता हूं मेहमान की तरह
सारे हुक़ूक़ छीन चुके मेरे घर के लोग अपने ही…
ज़िन्दगी इतनी मुख़्तसर भी नहीं
इस भरी कायनात में या रब अपने रहने को एक…
नसीब अपना है रूठे हुए सनम की तरह अगर खुशी…
सारे हुक़ूक़ छीन चुके मेरे घर के लोग अपने ही…
इस भरी कायनात में या रब अपने रहने को एक…