मेरी माँ-उत्साही “उज्जवल” कविता
जग के घोर अँधेरे में
रोशनी मेरी माँ
फ़ीके-फ़ीके पकवानों की
चासनी मेरी माँ
डरे-सहमो के भीड़ में
शेरनी मेरी माँ
नली-गटरों के इस जग में
त्रिवेणी मेरी माँ
टेढ़े-मेढ़े लेखों के दौर में
काव्य लेखनी मेरी माँ
जग के इस उबाउपन में
मनमोहिनी मेरी माँ